बुद्ध और अम्बेडकर का समता दर्शन दुनिया को जोड़ने का काम करता है : प्रो.सूर्यप्रकाश व्यास


उज्जैन। बुद्ध और अम्बेडकर ने शांति से क्रान्तिकारी परिवर्तन किया। बुद्ध और अम्बेडकर ने समानता के लिए कार्य किया। बुद्ध और अम्बेडकर का समता दर्शन दुनिया को जोड़ने का काम करता है। बुद्ध और अम्बेडकर के दर्शन की समानता है कि दोनों ही अपने अनुयायियों को अंधानुकरण नहीं बल्कि स्वविवेक से विचारों का अनुसरण करने की बात करते हैं। संविधान में भी बौद्ध विचारधारा की छाया स्पष्ट दिखती है। उक्त विचार काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणासी के जैन-बौद्ध धर्म दर्शन विभाग के सेवानिवृत्त आचार्य एवं अध्यक्ष प्रो. सूर्यप्रकाश व्यास ने डॉ. अम्बेडकर पीठ द्वारा संभागीय एवं पोस्ट मैट्रिक बालक छात्रावास, ई-ब्लॉक, कोठी रोड विक्रम विश्वविद्यालय शैक्षणिक परिसर में आयोजित व्याख्यान विषय बौद्ध दर्शन और बोधिसत्व डॉ. अम्बेडकर पर व्यक्त किए। प्रो.सूर्यप्रकाश व्यास ने बौद्ध विचारधारा का विदेशों में प्रचार-प्रसार होने से भाषाओं, विषयों की विविधता व्यापकता है। डॉ. अम्बेडकर का दर्शन और बौद्ध दर्शन की समानता मनुष्य-मनुष्य में भेद करना नहीं सिखाता। बुद्ध ने कहा जैसे आग को सोने में तपा कर, काटकर कसौटी पर परखा जाता है, उसी प्रकार से मेरे वचन को, मेरे प्रति श्रद्धा को मेरे विचारों को अपनी बुद्धि से परीक्षा कीजिए तब समर्थन करें। श्रद्धा के कारण मेरे विचारों का समर्थन नहीं करें। बुद्ध-बौद्ध मानव जाति के लिए बेहतर हैं। बुद्ध और बौद्ध धर्म का सबसे बड़ा विचार है बोधिसत्व। बोधिसत्व का आदर्श है किसी भी दुखी व्यक्ति को, जरूरतमंद व्यक्ति को जो भी चाहिए तत्काल समर्पित कर देना है। लोक कल्याण की भावना ही बोधिसत्व है। वर्तमान में अपना परिचय ढूँढना सबसे बड़ी चुनौती है और वास्तविक परिचय जान लेना ही बुद्धत्व है। स्वागत भाषण एवं पीठ की गतिविधियों का परिचय पीठ के प्रभारी निदेशक डॉ. एस.के. मिश्रा ने दिया। डॉ. एस.के. मिश्रा ने कहा समाज के विकास के लिए शिक्षा का मार्ग ही सर्वोत्तम है। डॉ. अम्बेडकर असाधारण व्यक्तित्व के धनी है। हमको अपनी सोच सकारात्मक, रचनात्मक रखना चाहिए। स्वतंत्रता, समानता बंधुत्व। समता-बंधुत्व न्याय ही बौद्ध दर्शन है। आदिम जाति कल्याण विभाग के मंडल संयोजक डॉ. गिरिधर मालवीय ने कहा सामाजिक न्याय ही बौद्ध-अम्बेडकर दर्शन है। संचालन व आभार शोध अधिकारी डॉ. निवेदिता वर्मा ने किया।