कोर्ट से गीता हटाकर कोर्स में ले आईये, पीढ़ियां सुधर जाएंगी


उज्जैन। सुखद जीवन के लिए मस्तिष्क में सत्यता होने पर प्रसन्नता और हृदय में पवित्रता जरूरी है। भौतिक चकाचौंध, धन और बाहुबली बनने की चाह में होने से मधुर मुस्कान गायब हो गई है। जेब में लक्ष्मीकांत रखकर जिंदगी को प्यारेलाल बनाने के चक्कर में संस्कृति और रिश्तों की आत्मीयता से दूर होते जा रहे हैं। कोर्ट से गीता हटाकर कोर्स में ले आईये तो यकीन मानिये पीढ़ियां सुधर जाएंगी। युवा तरूणाई आलस्य ना करे बल्कि आलस्य करने में आलस्य करे। बेटे को जिंदगी दो मगर बाईक नहीं, बेटी को शिक्षा दो मगर मोबाईल नहीं। उगते सूरज और दौड़ते घोड़े के चित्र लगाने से प्रगति नहीं होती, प्रगति के लिए सूर्योदय से पहले उठकर घोड़े के समान दौड़ना पड़ता है।
उक्त प्रेरणास्पद व्याख्यान महाकाल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के द्वारा युवाओं के सर्वांगीण विकास हेतु आयोजित अभिव्यक्ति समारोह के मुख्य अतिथि के रूप में राष्ट्रपति अंकरण से सम्मानित स्वामी मुस्कुराके शैलेन्द्र व्यास ने अपने उद्बोधन में दिये। अध्यक्षता ख्यात कवि पंकज जोशी ने की। प्रारंभ में मां वीणा पाणि सरस्वती के चित्र पर पूजन अर्चन दीप प्रज्जवलन कर अतिथि द्वारा शुभारंभ किया गया। स्वागत डायरेक्टर प्रो. विवेक बंसोड़, डॉ. गौतम चटर्जी, मुकेश शिंदे, असि. डायरेक्टर प्लेसमेंट प्रमीत बधेका ने किया। कविता में प्रथम अंशिता भटनागर रही। अभिव्यक्ति कार्यक्रम की जानकारी प्रो. विवेक बंसोड़ ने प्रदान की। संचालन अक्षिता ने किया। इंस्टीट्यूट की डायरेक्टर रेणी प्रवीण वशिष्ठ विशेष रूप से उपस्थित थीं। स्वामी मुस्कुराके ने अपने अंदाज में खूब गुदगुदाया। बताया कि जीवन क्या है, बचपन में होमवर्क, जवानी में होम लोन और बुढ़ापे में होम अलोन फिर घर बैठकर अनुलोम विलोम। देवास के कवि पंकज जोशी ने हास्य व्यंग्य के गुब्बारों के साथ ठहाके लगवाये। जोशी ने कहा कि पुरूष जब भी सैलून से लौटता है तो नहाता जरूर है, पर मजाल है आज किसी भी महिला ने ब्यूटी पॉर्लर से लौटकर मुंह भी धोया हो। अभिव्यक्ति के अंतर्गत कविता, कहानी, स्टेंडअप मिमिक्री का शानदार प्रदर्शन इंजीनियरिंग के छात्र-छात्राओं ने किया।