उज्जैन की मेजर डॉ. समहिता भूषण ने ऑस्ट्रिया में दी केनाबिस के उपयोग की जानकारी
केनाबिस के उपयोग को कई देशों में मिली मंजूरी, भारत में इसके सदुपयोग की आवश्यकता


उज्जैन। केनाबिस को विश्व के कई देशों में मंजूरी मिल चुकी है। इसके उपयोग से कई बीमारियों के लिए दवाइयाँ बनाई जा रही हैं। भारत देश में भी केनाबिस के सदुपयोग की आवश्यकता है। इसका नशे के रूप में उपयोग न करते हुए दवा के रूप में उपयोग की आवश्यकता आज देश में है।

उज्जैन की मेजर डॉ. समहिता भूषण ने यह विचार ऑस्ट्रिया के विएना में केनाबिस पर आयोजित व्याख्यान में व्यक्त किए। मेजर डॉ. समहिता भूषण उज्जैन की आर.डी. गार्डी में मानसिक रोग विभाग में सहायक प्रोफेसर के रूप में कार्यरत हैं। इसके पूर्व भी डॉ. भूषण को केनाबिस पर रिसर्च के उद्देश्य से एक शोध डॉक्टर छात्रा के रूप में आमंत्रित किया जा चुका है। इस बार उन्हें अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया था। विएना में उन्होंने बताया कि दुनियाभर में केनाबिस के पत्तों से औषधि बनाई जा रही है। इससे कैंसर पीड़ित लोगों को दर्द निवारक के रूप में, मिर्गी के इलाज और अन्य कई बीमारियों के इलाज में केनाबिस की औषधि उपयोग में लाई जा रही है। कई विश्व प्रसिद्ध कंपनियाँ भी केनाबिस का उपयोग दवाईयाँ बनाने के लिए कर रही हैं। केनाबिस की खेती कई देशों में शासकीय रूप से की जा रही है, ताकि इसका अधिक से अधिक दवाइयों में उपयोग किया जा सके। विएना में उन्होंने बताया कि भारत देश में प्राचीनकाल से ही इसका उपयोग किया जाता रहा है। परन्तु समय के अनुसार इसके उपयोग का तरीका परिवर्तित हो गया है। महाकाल की नगरी उज्जैन के कई मंदिरों में प्रसाद के रूप में दी जाने वाली औषधि भांग पर भी पिछले पांच वर्ष से उनकी रिसर्च जारी है।

डॉ. भूषण ने केनाबिस को वैश्विक रूप से उपयोग करने के बारे में भी वहाँ व्याख्यान में जानकारी दी। उन्होंने डॉ. भूषण ने भारत देश का प्रतिनिधित्व करते हुए एशिया में केनाबिस के उत्पादन और संपूर्ण परिदृश्य में इसके उपयोग को अधिक से अधिक स्तर पर पहुंचाने पर भी चर्चा की। इसके लिए भारत की उपयोगिता को भी वैश्विक स्तर पर प्रतिपादित किया।