11 महीने बंद रहेगा बैंड बाजा, 3 हजार परिवार भूखमरी की कगार पर


उज्जैन। बैंड बाजा व्यवसाय 1 मार्च होलाष्टक से बंद पड़ा हुआ है, लॉकडाउन में बंद व्यवसाय अनलॉक में भी पूरी तरह चौपट हो गया है। जिसके कारण इस व्यवसाय से जुड़े शहर के करीब 3 हजार परिवारों पर रोजी रोटी का संकट आ खड़ा हुआ है, अब इन परिवारों के लोग कर्ज के तले, गरीबी और भूखमरी से मरने की कगार पर हैं।
उज्जैन बैंड एसोसिएशन के अध्यक्ष बाबूलाल गंधर्व, मुन्नालाल, गौरीशंकर दुबे ने बताया कि शहर में करीब 30 दुकानें बैंड बाजे की है जिसके मालिक से लेकर कर्मचारी तक आज रोजी, रोटी को मोहताज है। सांसद, महापौर सभी को ज्ञापन दे चुके हैं लेकिन कहीं कोई सुनवाई नहीं हुई। बैंड बाजे वालों के कई परिवार कर्ज की चपेट में हैं, लेकिन इनकी सुध लेने वाला कोई नहीं। करीब 5 महीने से बेरोजगारी का दंश झेल रहे बैंड वालों के पास देवशयनी एकादशी 1 जुलाई के बाद अब आने वाले कुछ समय तक कोई मुहुर्त नहीं है। ऐसे में 11 महीने तक पूरा धंधा ठप्प हो गया है। बैंड बाजा वालों के पास कोई और व्यापार नहीं है। बाजार से नए साफे, गाड़ी, बैंड, ड्रेस, साउंड, जनरेटर आदि में कर्ज लेकर खर्च किया पैसा लॉकडाउन लगने के कारण सर चढ़ गया है। हम पूरी तरह से खत्म हो चुके हैं। यदि सरकार हमारी सहायता मदद नहीं करेगी तो हम 3 हजार परिवार इस गरीबी से तंग आकर मर जाएंगे। आगे भी हमारे धंधे के लिए कोई उम्मीद नहीं दिखती। ऐसे में बैंड बाजा वाले परिवारों ने सरकार से सहायता की मांग की है।