ढूंढना थी सुई, नगर निगम कर्मी तलवार ढूंढने में लगे!
एमपी गजब है, उसमें उज्जैन नगर निगम अजब है

ऋषिनगर के मकानों में प्रदूषण फैलाने वाले चल रहे उद्योगों तक पहुंचना था, पहुंचे कॉम्प्लेक्स की दुकानों तक

उज्जैन। चंचलप्रभा महिला मंडल ने ऋषिनगर के घरेलू मकानों में प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों के संचालन और बुजुर्गों के स्वास्थ्य की चिंता पालते हुए प्रशासन को सजग किया था। इसे लेकर रविवार को संस्था ने मीडिया को जानकारी दी थी। एमपी गजब है और उज्जैन नगर निगम अजब है। इस बात को नगर निगम कर्मी चरितार्थ करते हुए सोमवार को ऋषिनगर गए और उन्होंने सुई ढूंढने की जगह तलवार ढूंढने में अपना वक्त जाया कर दिया।


चंचलप्रभा महिला मंडल अध्यक्ष चंचल श्रीवास्तव ने जानकारी देते हुए बताया कि ऋषिनगर में आवासीय लीज मकानों के लिए दी गई है। विकास प्राधिकरण ने आवासीय उपयोग की शर्त पर ही इन मकानों का आवंटन किया है। इसके विपरीत ऋषिनगर में घरों में दुकानें खोल दी गई हैं। ४ से ५ घरों में सेंव बनाने के उद्योग संचालित किए जा रहे हैं। इसके प्रदूषण से आसपास निवास करने वाले सेवानिवृत्त शासकीय कर्मचारी और बुजुर्ग सांस की बीमारियों से ग्रसित होने लगे हैं। इसी मुद्दे को लेकर संस्था ने आवाज उठाते हुए मीडिया को जानकारी दी थी। मीडिया के इस मुद्दे को उठाने पर नगर निगम ने खाना पूर्ति की कार्रवाई सोमवार को की है। सोमवार को नगर निगम का एक दल ऋषिनगर पहुंचा। इसमें शामिल कर्मचारियों ने ऋषिनगर कॉम्पलेक्स, जहाँ कि व्यवसायिक कार्य की ही अनुमति है, वहाँ जांच की। शुद्ध रूप से एमपी गजब है, नगर निगम उज्जैन अजब है और उसके अधिकारियों की मानसिकता और शैक्षणिक स्थिति को स्पष्ट कर दिया है। कार्य था सुई ढूंढने का और तलवार ढूंढने में इन कर्मचारियों ने समय जाया किया। इसके साथ ही ऋषिनगर कॉम्प्लेक्स में स्थापित नमकीन की दुकान संचालकों को परेशान किया। इससे स्पष्ट यह भी हो रहा है कि चिंदी चारे के लिए नगर निगम के कर्मचारी किसी भी हद तक और कैसा भी अजब-गजब काम करने को तैयार रहते हैं।


ऋषिनगर के व्यापारियों ने स्पष्ट किया कि कॉलोनी के अंदर इस तरह के उद्योग संचालित हो रहे हैं। उसके बावजूद कर्मचारी यह सब जानकर भी ओंधी कार्रवाई करने में ओंधी मानसिकता के साथ लगे रहे। चंचलप्रभा संस्था अध्यक्ष चंचल श्रीवास्तव ने पुन: स्पष्ट किया है कि नगर निगम के समझदार जनप्रतिनिधि और पढ़े-लिखे अधिकारी इस बात को समझें कि जहाँ रहवासी लीज दी गई है, उसका व्यावसायिक उपयोग नहीं किया जा सकता है। ऋषिनगर कॉलोनी के मकानों की लीज शर्त रहवासी की है, उसका व्यवसायिक उपयोग कतई नहीं किया जा सकता है। इन मकानों में चल रहे उद्योगों को गुमाश्ता और फूड लायसेंस जारी किए गए हैं, वो भी अवैधानिकता की स्थिति में है। खाद्य सुरक्षा और नगर निगम अधिकारियों ने मिली भगत के साथ यह लायसेंस जारी किए हैं। इसी तरह इन संचालित हो रहे उद्योगों ने न तो नल का कनेक्शन व्यवसायिक लिया है और न ही इनके यहाँ बिजली कनेक्शन ही व्यवसायिक उपयोग में लिए जा रहे हैं। यही नहीं मकानों का उपयोग भी भंडारण के कार्यों में लिया जा रहा है। यह भी अपने आप में अवैधानिक कृत्य है और विकास प्राधिकरण की लीज के उल्लंघन की श्रेणी में है। विकास प्राधिकरण के संबंधित कॉलोनी प्रभारी भी इस दुष्कृत्य में संलिप्त हैं। इन सभी के विरुद्ध संस्था जल्द ही प्रदर्शन करेगी और वैधानिक कार्रवाई के लिए भी संस्था तैयारी कर रही है।