ऋषि नगर प्रदूषण कॉलोनी बनी, बुजुर्गों को मुफ्त में दी जा रही सांस की बीमारी
-नगर निगम के साथ ही तमाम विभाग जिम्मेदारियाँ भूले, उल्टा फर्जी आधारों पर लायसेंस जारी कर दिए गए

उज्जैन। उज्जैन विकास प्राधिकरण की सबसे पहली कॉलोनी ऋषि नगर अब पर्यावरण प्रदूषण वाली कॉलोनी बनती जा रही है। बगैर इच्छा के उद्योग और घरेलू उद्योग यहाँ आवासीय मकानों में खुल गए हैं। आसपास रहने वाले बुजुर्गों में मुफ्त में कार्बन के साथ ही घासलेट का धुआं और अन्य प्रदूषण दिया जा रहा है। इससे सांस की बीमारी की आशंका बढ़ गई है।


उज्जैन विकास प्राधिकरण की स्थापना १९७७ में तत्कालीन संभागायुक्त संतोष कुमार शर्मा ने की थी। प्रथम अध्यक्ष रहते हुए उन्होंने ऋषिनगर आवासीय योजना बनाकर उसे अमल में लाया था। इस आवासीय योजना में तत्कालीन समय में शासकीय कर्मचारियों को सबसे पहले किस्त के आधार पर मकान आवंटित किए गए थे। उस समय के शासकीय कर्मचारी अब सेवानिवृत्त बुजुर्ग हो चुके हैं। समय बदला, आवासीय मकानों में तमाम तरह के घरेलू उद्योग डाल दिए गए। जबकि लीज की शर्त के मुताबिक आवासीय मकानों में किसी भी प्रकार का उद्योग, धंधा, व्यवसाय नहीं किया जा सकता है। पिछले ४० वर्षों में ऐसा कई रहवासी मकानों में हुआ, लेकिन अब तक एक भी लीज निरस्त की कार्रवाई नहीं की गई। इससे तय है कि अच्छे उद्देश्यों से स्थापित विकास प्राधिकरण अब कॉलोनाइजर रूपान्तरित हो चुका है। कॉलोनी के रहवासी आवासों में करीब ढाई हजार मकान हैं। हाल यह है कि गली-गली में दुकानें खुल गई हैं, जो कि ऋषिनगर शॉपिंग कॉम्प्लेक्स के दुकानदारों के व्यवसाय को सीधे तौर पर प्रभावित कर रही है, जबकि विकास प्राधिकरण ने इन्हें कॉम्प्लेक्स में दुकानें देते हुए स्पष्ट किया था कि रहवासी मकानों में कोई व्यवसाय नहीं किया जा सकेगा।


इसके बावजूद ऋषिनगर में ४ से ५ सेंव बनाने के उद्योग स्थापित कर लिए गए हैं। इनसे होने वाले प्रदूषण के कारण आसपास के रहवासियों को मुफ्त में ही प्रतिदिन जहर रूपी प्रदूषण सहना पड़ रहा है। आगामी समय में निश्चित तौर पर इन रहवासियों को सांस की बीमारी घेरेगी। इस बात से वाकिफ होने के बावजूद जिम्मेदार विभाग चुपचाप बैठे हैं। पूर्व में ऋषिनगर कॉम्प्लेक्स व्यापारी एसोसिएशन ने इन्हीं मुद्दों को लेकर विकास प्राधिकरण में शिकायत की थी। लेकिन संबंधित कॉलोनी प्रभारी ने येन-केन प्रकारेण मामले को रफा दफा कर फाइल को डिब्बे में बंद कर दिया। ऋषिनगर के ईडब्ल्यूएस में ही इस तरह के तीन लघु उद्योग संचालित किए जाकर प्रदूषण फैलाया जा रहा है। खास बात तो यह है कि इनमें से दो को खाद्य सुरक्षा विभाग ने बगैर कुछ देखे ही लायसेंस दे दिया, जबकि रहवासी क्षेत्र में इस तरह का लायसेंस जारी किया जाना ही चार सौ बीसी की श्रेणी में देखा जाता है। यही नहीं गुमाश्ता की स्थिति नगर निगम की भी यही रही है। नगर निगम और खाद्य सुरक्षा विभाग ने भी लीज की शर्तों के विपरीत लायसेंस जारी किए हैं। जल्द ही इस मामले में सामाजिक संस्था चंचलप्रभा महिला मंडल वैधानिक प्रक्रियाओं के तहत कार्रवाई कर प्रदूषण फैला कर सेवानिवृत्त नागरिकों को परेशान करने वालों के खिलाफ कदम उठाएगी और वैधानिक रूप से कार्रवाई भी करेगी।