पांच साल में जिला पंचायत ने कौशल उन्नयन में कुछ नहीं किया

सूचना के अधिकार में मांगी गई जानकारी से हुआ खुलासा
उज्जैन। नेताओं के बड़े-बड़े खोखले दावे और अधिकारियों के फोरे दस्तावेज को साबित किया है जिला पंचायत के लोक सूचना अधिकारी ने। उज्जैन जिला पंचायत अंतर्गत पिछले 5 साल में कौशल उन्नयन के लिए धेला भर काम नहीं हुआ है। जिले के युवाओं के कौशल उन्नयन को सीधे-सीधे से ठेंगा बता दिया गया है, जबकि इन 5 सालों में नेताओं ने जमकर दावे किए हैं और अधिकारियों ने जमकर फोरे दस्तावेज बनाए हैं। इस मामले की विशेष जांच की जाना चाहिए, जिससे कि दूध का दूध और पानी का पानी साबित हो।
शासन की योजना पर प्रशासन में कैसे पलीता लगता है, इसका सीधा सा उदाहरण जिला पंचायत से लिया जा सकता है। सूचना के अधिकार में जिला पंचायत से जानकारी मांगी गई थी कि पिछले पांच वर्षों में कौशल उन्नयन के लिए कितने प्रशिक्षण आयोजित किए गए और किन-किन संस्थाओं को कार्य दिया गया। जवाब आया, पिछले पांच वर्षों में एनआरएलएम (राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन) योजना अंतर्गत कौशल प्रशिक्षण हेतु कोई कार्य आदेश जारी नहीं किए गए हैं। यानी कि पिछले पांच वर्षों में कौशल उन्नयन के लिए कोई काम नहीं किया गया है। जवाब को दूसरी बार पुन: पुष्टि करने के लिए फेर के सवाल के साथ जिला पंचायत को आवेदन भेजा गया। पुन: लोक सूचना अधिकारी ने जवाब दिया कि आपके द्वारा चाही गई जानकारी में आपके द्वारा विभिन्न विभागों से कौशल प्रशिक्षण के संबंध में जानकारी चाही गई है। आपको कार्यालयीन पत्र जो कि पूर्व में दिया गया है, से जानकारी भेजी गई थी। लोक सूचना अधिकारी ने यह भी उल्लेख किया कि जिला पंचायत में कौशल उन्नयन संबंधित कार्य राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन द्वारा संपादित किया जाता है। अन्य विभागों की जानकारी के लिए आप संबंधित विभागों में विधिवत आवेदन करें, जबकि जिले में जिला पंचायत के अंतर्गत सभी विभाग कौशल उन्नयन के कार्य करने के लिए प्रतिबद्ध है। लोक सूचना अधिकारी को जिला परियोजना प्रबंधक म.प्र. डे- राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन ने स्पष्ट तौर पर जानकारी दी है कि विगत 5 वर्षों में एनआरएलएम योजना अंतर्गत किसी भी संस्था को कौशल प्रशिक्षण हेतु कोई कार्य आदेश जारी नहीं किए गए हैं। चाही गई जानकारी निरंक है। इससे यह भी साफ हो रहा है कि शासन और प्रशासन की योजनाओं में उज्जैन जिले के ग्रामीण युवा किसी प्रशिक्षण की चाह में नहीं है या फिर उनके साथ दस्तावेजों में ही फेर हो रहा है और ऊपर से ही उज्जैन जिले के युवाओं को कौशल उन्नयन से वंचित रखा जा रहा है। जबकि जिले में घट्टिया और तराना विधानसभा क्षेत्र अनुसूचित जाति से संबंधित है। इसके अतिरिक्त जिले में बेरोजगार युवाओं का प्रतिशत बम कर रहा है। रोजगार कार्यालय के आंकड़ों से स्थिति साफ है। कुछ अन्य कार्यालयों में भी इसी मुद्दों से संबंधित आरटीआई आवेदक हेमन्त भोपाळे ने लगाई है। संबंधित कार्यालय अपनी जानकारियों को छुपाए फिर रहे हैं। इसका स्पष्ट मंतव्य या तो दस्तावेजों में ही प्रशिक्षण आयोजित कर लिए गए हैं और पैसा संबंधित संस्थाएं हजम कर चुकी हैं या फिर कौशल उन्नयन की ओर संबंधित कार्यालयों में जिले के युवाओं का कोई महत्व नहीं बचा है।
यह प्रशिक्षण आयोजित किए जाते हैं : जिला पंचायत लोक सूचना अधिकारी के अनुसार पिछले 5 वर्षों में कौशल उन्नयन का कोई प्रशिक्षण आयोजित नहीं किया गया। इसके विपरीत इन वर्षों को छोड़ दिया जाए तो पूर्व वर्षों में जिला पंचायत से डीटीपी, ब्यूटी पार्लर, सिलाई-कढ़ाई, डाटा इंट्री ऑपरेटर के प्रशिक्षण का आयोजन जिला एवं तहसील स्तर पर किया जाता है। इनके प्रशिक्षण विभिन्न अशासकीय संस्थाओं को देने के लिए सरकार की ओर से प्रति प्रशिक्षणार्थी बड़ी रकम भी अदा की जाती है। पिछले पांच वर्षों में उज्जैन जिले के ग्रामीण युवाओं के साथ सीधे तौर पर धोखा किया गया है।
क्यों लगाया आवेदन : आवेदक हेमन्त भोपाळे एवं इंदरसिंह चौधरी खुद गैर पंजीबद्ध संस्था देवकृति शिक्षणेत्तर का संचालन करते हैं। इस संस्था में ७० फीसदी युवतियों और ३० फीसदी युवकों को डीटीपी ऑपरेटिंग का प्रशिक्षण नि:शुल्क तौर पर 12 माह निरन्तर दिया जाता है। पिछले 5 वर्षों में ७० से अधिक नवयुवक-नवयुवतियों को प्रशिक्षित किया जा चुका है। यही नहीं, गैर पंजीबद्ध संस्था इन नवयुवक युवक-युवतियों को रोजगार के अवसर भी विभिन्न संस्थाओं और कार्यालयों में प्रदान करवाने के लिए प्रयासरत रहती है। ऐसी स्थिति में शासन-प्रशासन के कार्यों को जानने का प्रयास किया गया था।