स्वर्णप्राशन बच्चों के शारीरिक व मानसिक विकास के लिए चिकित्सा क्षेत्र में आयुर्वेद की महत्वपूर्ण देन
उज्जैन। शासकीय स्वशासी धन्वन्तरि आयर्वेद चिकित्सा महाविद्यालय के प्रधानाचार्य डॉ. जे.पा. चौरसिया ने बताया कि चिकित्सालय के शिशु एवं बालरोग विभाग के अंतर्गत स्वर्णप्राशन का अगला चरण 6 व 7 नवम्बर 2019 को प्रात: 8 से 12 बजे चिमनगंज स्थित चिकित्सालय में होगा।

स्वर्णप्राशन कार्यक्रम की प्रभारी अधिकारी डॉ. गीता जाटव ने बताया कि बच्चों का प्रतिरक्षा तंत्र पूर्ण रूप से विकसित न हो पाने से बच्चों में दिन प्रतिदिन होने वाले संक्रमण जैसे - सर्दी, खांसी, बुखार तथा शिशु का बार-बार बीमार आदि लक्षण देखे जाते हैं। स्वर्णप्राशन किसी रोग विशेष की औषध न होकर बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता को उत्प्रेरित कर उन्हें संक्रामक बीमारियों से बचाता है। बच्चों में 90 प्रतिशत तक मस्तिष्क विकास 5 वर्ष की अवस्था तक हो जाता है। अत: इस उम्र के बच्चों को स्वर्णप्राशन कराने से उनमें सोचने, समझने एवं सीखने की क्षमता का विकास होता है।

चिकित्सालय के अधीक्षक डॉ. ओ.पी. शर्मा तथा शिशु रोग विभागाध्यक्ष डॉ. वेदप्रकाश व्यास ने आम जनता से अपील की है कि अभिभावक अपने बच्चों का स्वर्णप्राशन कराकर अधिकाधिक लाभ उठाये। उक्त जानकारी मिडिया प्रभारी डॉ. प्रकाश जोशी ने दी।