कोरोना महामारी एवं अन्य समस्याएँ : ज्योतिषीय विश्लेषण


कोरोना वायरस महामारी सम्पूर्ण विश्व के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती के रूप मे उभर के सामने आई है। इस प्रकार की वैश्विक घटनाओं का अध्ययन ज्योतिष की शाखा 'संहिता ज्योतिष' के अंतर्गत किया जाता है। हालांकि ज्योतिष के माध्यम से वर्तमान समय की घटनाओं को समझना आसान कार्य नहीं है, क्योंकि जरूरी नहीं है कि प्रत्येक घटना का साक्ष्य संहिता ग्रंथों में श्लोकों के रूप में उपलब्ध हो। इसके लिए सतत अध्ययन एवं अनुसंधान की भी आवश्यकता है। आइए महामारी के विविध पहलुओं को समझें-
महामारी का प्रभाव कब तक सबसे अधिक रहेगा?
ज्योतिष के अनुसार दिनांक 4 मई तक शनि एवं मंगल की एवं गुरु की युति मकर राशि में रहने से महामारी का सर्वाधिक प्रभाव रहेगा। इसके कारण सम्पूर्ण मानव जाति नकारात्मक रूप से प्रभावित होगी एवं सबसे अधिक जन हानि होने की आशंका भी इसी अवधि में है। 4 मई से मंगल अगली राशि कुम्भ में प्रवेश करेगा, इससे महामारी की तीव्रता में आंशिक रूप से कमी आ सकती है एवं जनता को मिलने वाला कष्ट काफी हद तक कम हो सकता है। इससे भय एवं मानसिक तनाव में कमी आने के संभावना है।
गुरु 29 जून से वक्री होकर धनु राशि में 20 नवम्बर तक बना रहेगा। इससे संक्रमण में और कमी आने की संभावना है, किन्तु राहू एवं केतू क्रमश: मिथुन एवं धनु राशि में सितम्बर-2020 तक रहेंगे, जिससे विश्व में कई स्थानों पर संक्रमण निरंतर रूप से बना रहेगा। अत: सितंबर माह के बाद संक्रमण में कमी आ सकती है। गुरु मार्गी होकर नवम्बर में पुन: मकर राशि में प्रवेश करेगा, जिससे कोरोना का प्रभाव पुन: कुछ स्थानों पर हो सकता है, अत: कोरोना से सावधानी की लगातार आवश्यकता बनी रहेगी।
वैश्विक स्तर पर धार्मिक वैमनस्य की संभावना
गुरु अपनी नीच राशि में होने के साथ-साथ शनि से भी पीड़ित है। ज्योतिष के अनुसार गुरु धर्म का कारक भी है, इससे धार्मिक/ सांप्रदायिक वैमनस्य को बढ़ावा मिलेगा। गुरु एवं शनि की युति के दौरान यह समस्या सबसे अधिक देखने को मिल सकती है। यह युति जून 29 तक रहेगी। तत्पश्चात नवम्बर-2020 से पुन: जारी रहेगी।
किन देशो/प्रदेशों के लिये यह महामारी सबसे घातक है?
यह बहुत महत्वपूर्ण विषय है, शनि पश्चिम दिशा का कारक है तथा मंगल दक्षिण दिशा का। इसी प्रकार मकर राशि दक्षिण दिशा का कारक है। शनि, मंगल एवं गुरु से सबसे अधिक प्रभावित राशि मकर राशि है। कोरोना महामारी एवं उससे पड़ने वाले अन्य घातक प्रभाव से विश्व के पश्चिमी देशों, दक्षिण-पश्चिम एवं दक्षिण दिशा के देशों को अत्यधिक सावधान रहना जरूरी है। भारत के संदर्भ में भी पश्चिम, दक्षिण एवं दक्षिण पश्चिम के प्रदेशों के लोगों को सतर्क रहना जरूरी है।
यदि भारत सरकार द्वारा सही समय लॉकडाउन नहीं लागू किया होता तो इसके भयावह परिणाम हो सकते थे।
वराह मिहिर के ग्रंथ वृहत संहिता अनुसार शनि के वर्तमान स्थिति से प्राचीन उज्जयिनी एवं अन्य कौन से क्षेत्र भी प्रभावित होंगे?
वर्तमान में शनि उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में है, जो कि लगभग दिसम्बर-2020 अंत तक इस नक्षत्र में रहेगा। वराहमिहिर रचित वृहत संहिता के शनिचार अध्याय श्लोक 15 में कहा गया है कि यदि शनि उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में संचरण करे तो दशार्णों, यवनों, उज्जयिनी, शबरों एवं परियात्र पर्वत के वासियों को पीड़ा देता है। (स्थानाभाव के कारण प्रत्येक स्थान का उल्लेख नहीं किया जा सकता, आप गूगल के माध्यम से आसानी से सर्च कर सकते हैं)
आखिर सावधानी कब तक?
कुल मिला कर विचार करे तो लगभग वर्ष के अंत तक प्रत्येक व्यक्ति को अपने स्तर पर सावधानी रखना जरूरी है। सामाजिक दूरी, साफ-सफाई, सकारात्मक विचार, अच्छी जीवन शैली एवं परमात्मा की उपासना ही महामारी से बचने का सर्वोत्तम उपाय है। हम सबके प्रयासों से कोरोना निश्चित रूप से हारेगा।



ज्योतिर्विद - एस. प्रशांत राव, उज्जैन
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