नगर निगम के फर्जी रसीद कट्टा कांड में फसे गरीब जॉब वर्कर

प्रिंटिंग प्रेस एसोसिएशन ने कहा असली दोषी छपाई के लिए काम देने वाले- नगर निगम के अधिकारी, कर्मचारियों की भी मिलीभगत का लगाया आरोप
उज्जैन। नगर निगम के फर्जी रसीद कट्टे छपाई के मामले में उज्जैन के प्रिंटिंग प्रेस एसोसिएशन ने पुलिस अधीक्षक तथा माधवनगर थाना प्रभारी के नाम गुरूवार को ज्ञापन सौंपकर न्याय की गुहार लगाई है। प्रिंटिंग प्रेस संचालकों तथा कर्मचारियों ने फर्जी रसीद कट्टे छापने वाले प्रिंटिंग प्रेस कर्मचारियों को निर्दोष बताते हुए कहा कि इस पूरे प्रकरण में नगर निगम के अधिकारी, कर्मचारी तथा ऑनेस्ट ट्रेडर्स के संचालक इकबाल उर्फ अली जो कि नगर निगम का प्रिंट माफिया है।
उज्जैन प्रिंटर्स एसोसिएशन ने मामले का खुलासा होने के बाद जब जानकारी निकाली तो पता चला कि इकबाल उर्फ अली नगर निगम के अधिकारी, कर्मचारियों के साथ मिलीभगत कर पिछले 15 वर्षों से नगर निगम के सभी प्रकार के प्रिंटिंग संबंधित कार्य करता है। जबकि उसके पास किसी भी प्रकार की पिं्रट मशीनरी कम्प्यूटर एवं कोई कर्मचारी नहीं है। सारा काम बाजार में करवाता है जिसमें वैध व अवैध दोनों प्रकरण के कार्य करवाता रहता है। इसके लिए इकबाल उर्फ अली छोटे दुकानदारों को अपना निशाना बनाता है, वर्तमान प्रकरण में भी यही हुआ चूंकि इस अवैध कार्य में उसके साथ नगर निगम के कर्ताधर्ता भी शामिल रहते हैं इसलिए मुख्य आरोपी होने के बावजूद पुलिस ने उससे पूछताछ तक नहीं कि जबकि विकास ने और मनोज मोरे जो कि इकबाल उर्फ अली का नगर निगम की प्रिंटिंग सामग्री के मुद्रण का कार्य पिछले छह वर्षों से कर रहे हैं और यह कार्य भी विकास और मनोज ने अली के कहने पर किया है। पुलिस अगर निष्पक्षता से जांच करती है तो इसमें नगर निगम के कई बड़े कर्ताधर्ताओं का पर्दाफाश हो सकता है। पुलिस द्वारा मुख्य आरोपी इकबाल उर्फ अली को बचाकर गरीब निर्दोष कर्मचारियों को फंसाया गया है।
जॉब वर्करों से कहा था नगर निगम कमिश्नर के कहने पर कट्टे छप रहे हैं
प्रिंटिंग व्यवसाय से जुड़े दो जॉब वर्कर विकास बधेरा निवासी नानाखेड़ा व मनोज मोरे निवासी विद्या नगर समस्त प्रिंटिंग प्रेस व अन्य लोगों का काम न्यूनतम मजदूरी पर करते हैं। नगर पालिक निगम की फर्जी चालानी रसीद कट्टे प्रिंट करने के आरोप में दोनों पर जो प्रकरण पंजीबध्द किया गया है। वह काम दोनों ने जयपुर निवासी अंचित पिता कन्हैयालाल शर्मा के ऑर्डर पर किए थे। उसने विकास बथेरा को यह भरोसा दिलाया कि वह नगर निगम का कर्मचारी है और यह निगम कमिश्नर के कहने पर करवाने आया है। अंचित शर्मा जैसे आपराधिक मानसिकता वाले लोग इसी तरह की छोटी सी दुकान को अपना निशाना बनाते हैं। दोनों ही अपनी रोजी रोटी के लिए मजदूरी कार्य की तरह काम करते हैं, इस तरह की दुकानदासी करने वाले शहर में सैकड़ों लोग है जिन्हें शासकीय नियम कायदों के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं होती या किसी पहचान वाले की वजह से उसे काम को अंजाम दे देते हैं। विकास बथेरा की अन्य सभी प्रिंटिग का काम मनोज मोरे करते हैं क्योंकि मनोज मोरे जॉब वर्क करते हैं इसकी वजह से शहर के जॉब वर्कर जिनके पास संपूर्ण प्रिंटिंग यूनिट नहीं होती वे लोग अपना काम मनोज मोरे की ऑफसेट मशीन पर करवाते हैं। अगर इसी तरह बिना जांच के प्रिंटिंग प्रेसवालों पर प्रकरण पंजीबध्द किये जाएंगे तो प्रिंटिंग के अन्य काम भी करना दूभर हो जाएंगे और सैकड़ों दुकानदारों को काम बंद करना पड़ेगा।
भूलवश हुआ अपराध, क्षमादान प्रदान करें
प्रिंटिंग प्रेस एसोसिएशन ने कहा कि दोनों दुकानदार विकास बधेरा और मनोज मोरे से यह काम भूलवश हो गया है जिसका पश्चाताप दोनों को हो रहा है। पुलिस अधीक्षक को ज्ञापन के माध्यम से अनुरोध किया कि मानवीय दृष्टिकोण दिखाते हुए दोनों दुकानदारों को क्षमादान प्रदान करें चाहें तो इस तरह का काम दोबारा न करने का शपथ पत्र या बांड भरवाकर इन्हें रिहा किया जाए।