नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र वशिष्ठ ने कहा महापौर ने वही दावे वादे किये जो पिछले चार बजट और पिछले सम्मेलनों में किये
उज्जैन। नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र वशिष्ठ ने नगर निगम के प्रस्तावित बजट 2020-21 को दिखने में बहुत बड़ा ढोल बताते हुए कहा कि यह अंदर से पोलम पोल है, इस बोर्ड के कार्यकाल में शहर बेहाल है, जनता बदहाल है। विगत वर्षों में बजट प्रावधान होने के बाद भी काम्पलेक्स नहीं बने, बगीचे विरान है, गरीब परेशान है। न तो समय पर पेंशन है न ही गरीबों के उत्थान की कोई योजना, गरीबों के लिए ना तो गरीबी रेखा का राशन कार्ड है और ना ही रोजगार है। नगर निगम के गलियारों में सरकारी योजनाओं का लाभ पाने की इच्छा से सैकड़ों लोग प्रतिदिन परेशान होते हैं। ना ही शुध्द पीने का पानी है।
राजेन्द्र वशिष्ठ ने कहा कि महापौर ने वही दावे वादे किये जो पिछले चार बजट में पिछले सम्मेलनों में किये, इंदौर गेट स्थित पटवारी प्रशिक्षण शाला वाली जगह पर पार्किंग और व्यावसायिक कॉम्पलेक्स बनाएंगे। जीरो पाईंट ब्रिज और रामी नगर ब्रिज के नीचे दुकान गोदाम बनाएंगे, दौलतगंज सब्जी मंडी बहादुरगंज शिफ्ट करेंगे, निगम की आय बढ़ाएंगे, नागरिकों को बेहतर सुविधा देंगे। वर्ष 2019-20 में 97312 लाख एवं 97274 लाख व्यय प्रस्तावित किये थे वास्तविकता में माह दिसंबर तक निगम की कुल आय 19 लाख रूपये है और वास्तविक व्यय 26 लाख है। वर्ष 2020-21 मेंं प्रस्तावित आय 1126 करोड़ 41 लाख और कुल व्यय 1126 करोड़ 2 लाख है। कुल 48 लाख की बचत है, इस तरह आंकड़ों की बाजीगरी का खेल अब लाखों की जगह करोड़ों में हुआ।
बोर्ड का प्रशासनिक तंत्र पर नहीं रहा नियंत्रण
भाजपा बोर्ड का प्रशासनिक तंत्र पर नियंत्रण नहीं रहा है, यदि होता तो प्रोजेक्ट लेट न होते, स्वीकृत प्रस्ताव कागजों में ही सिमटे न पड़े होते, निगम की आय बढ़ती। चेम्बर खुला छोड़ने, बगीचे में कुर्सी टूटी रखने से किसी के घर के चिराग न बुझते, सड़कों पर सूअर, आवारा मवेशी, श्वान न फिर रहे हाते। सीवरेज पाईप लाईन प्रोजेक्ट 7 महीने पहले ही पूरा हो गया होता, पानी की 9 उच्च स्तरीय टंकियां बन गई होती, आवास योजना में कानीपुरा रोड़ और मंछामन में 900 परिवारों के घर का सपना पूरा हो गया होता। जयसिंहपुरा में इनडोर स्टेडियम और दूधतलाई में कमर्शियल काम्पलेक्स की सौगात नागरिकों को अब तक मिल गई होती, शहरवासी एसी इलेक्ट्रिक बस में सफर कर पाते, पर भाजपा बोर्ड ने तो सीएनजी, डीजल बसों में यात्रा का सुख भी छीन लिया। बगीचे, रोटरी, रोड डिवायडर में हरियाली के नाम पर करोड़ो रूपये ऐसे कीमती पौधे लगाने पर बर्बाद कर दिये जो न फल देते हैं न फूल न घनी छाया। प्रस्तुत बजट में बुजुर्ग, विधवा, दिव्यांग, गरीब परिवारों को जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ मिले उनके लिए न तो कोई प्रावधान है और न कोई सिस्टम। देश विदेश यात्रा में लाखों का प्रावधान है लेकिन सड़कों की मरम्मत के लिए राशि में कटोत्रा किया गया 400 लाख की राशि को 200 लाख कर दिया गया। करोड़ों रूपये की एलईडी लाईट लगा दी गई फिर भी बिजली का बिल कम क्यों नहीं।
एक भी अनुभवी केमिस्ट नहीं, जनता को पिला रहे गंदा पानी
राजेन्द्र वशिष्ठ ने कहा कि गंभीर डेम से रॉ वाटर केवल दो फिल्टर प्लांट के लिए आता है, अगर फिल्टर प्लांट नंबर तीन के लिए भी गंभीर डेम से रॉ वाटर की पाईप लाईन दो फिल्टर प्लांट के लिए ही डली हुई है, तीसरे फिल्टर प्लांट के लिए गंभीर डेम से पाईप लाईन नई डाले जाने का प्रावधान किया जाना चाहिये तो टंकियों को भरने की दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ेगा। गउघाट और गंभीर मेंं अनुभवी एक भी केमिस्ट नहीं है, गंदा पानी शहरवासियों को पिलाया जाता है। नर्मदा प्रोजेक्ट में नर्मदा के करोड़ों के बिल भेजे हैं जो कि बकाया है।
बजट 2020-21 दिखने में बड़ा ढोल, अंदर से पोलम पोल