कार्तिक मेले का रावण इस बार ८ बजे होगा दहन

लगातार क्षिप्रा के उफान पर रहने के कारण समिति ने लिया निर्णय, रात 9 की बजाय 8 बजे होगा रावण दहन



उज्जैन। दशहरा महोत्सव में आज 8 अक्टूबर मंगलवार को कार्तिक मेला प्रांगण में सर्वाधिक उंचाई वाले रावण के पुतले का दहन किया जाएगा। वर्षा के कारण मां क्षिप्रा के उफान पर रहने के कारण आमजन की सुरक्षा की चिंता करते हुए विजयादशमी महोत्सव समिति ने एक घंटे पूर्व रावण दहन करने का निर्णय लिया है। प्रत्येक वर्ष रावण दहन रात्रि 9 बजे किया जाता है परंतु इस वर्ष रावण दहन रात्रि 8 बजे किया जाएगा।
चेतन प्रेमनारायण यादव के अनुसार कार्तिक मेला प्रांगण में विजयादशमी महोत्सव के अंतर्गत प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी 8 अक्टूबर मंगलवार को रावण के विराट स्वरूप का दहन होगा। स्व. राम भय्या यादव व स्व. प्रेमनारायण यादव की स्मृति में विजयादशमी महोत्सव समिति के उपाध्यक्ष कैलाश विजयवर्गीय ने बताया कि इस वर्ष संध्या 6.30 बजे से आतिशबाजी का प्रदर्शन प्रारंभ होगा। रावण के पुतले का निर्माण कादिर खान आगरावाले के निर्देशन में कलाकारों द्वारा किया गया है। इस अवसर पर जमीनी एवं आकाशीय आतिशबाजी का जंगी मुकाबला ओमप्रकाश ग्वालियर एवं सीताराम के मध्य होगा। समारोह में सभी धर्मगुरूओं का सम्मान किया जाएगा। भगवान श्री राम लक्ष्मण की सवारी व देवगुरू बृहस्पति महाराज की पालकी पूजन परंपरानुसार किया जाएगा। पूजन विधि पं. आशीष गुरू संपन्न कराएंगे।
उल्लेखनीय है कि पं. आनंदशंकर व्यास एवं राधेश्याम उपाध्याय की प्रेरणा से वरिष्ठ समाजसेवी स्व. राम भय्या यादव एवं स्व. प्रेमनारायण यादव व समिति के सदस्यों ने नागरिकों की सुविधा को दृष्टिगत रखते हुए विगत 36 वर्षों से निरंतर चली आ रही रावण दहन की परंपरा का निर्वाह इस वर्ष भी किया जा रहा है। जिसका आरंभ वर्ष 1983 में किया गया था। प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी भगवान श्रीराम एवं रावण के मध्य समर क्षेत्र में संवाद होंगे और उसी के साथ भगवान श्रीराम एवं रावण के मध्य महासंग्राम होगा। महोत्सव समिति के संरक्षक नवनीतकुमार नीमा, अध्यक्ष पं. आनंदशंकर व्यास, उपाध्यक्ष पं. राधेश्याम उपाध्याय, प्रेमसिंह यादव, कैलाष विजयवर्गीय, सचिव अजय राम भय्या यादव तथा समिति के सदस्यों ने नगर के नागरिकों से अपील की है कि अधिक से अधिक संख्या में पधारकर आयोजन को सफल बनावे। साथ ही अनुरोध किया है कि छोटे पुल पर पानी व कीचड़ होने से महोत्सव का आनंद मेला प्रांगण में पहुंचकर ही उठाए।